
उत्तर प्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आया है जो राज्य की शिक्षा व्यवस्था और सरकारी नियुक्तियों पर कई सवाल खड़े करता है।
स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने 2022 की फिजिकल एजुकेशन टीचर डायरेक्ट भर्ती परीक्षा में फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी पाने वाले 202 अभ्यर्थियों का भंडाफोड़ किया है।
जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद पर सवाल
SOG की जांच में सामने आया है कि इन सभी फर्जी डिग्रियों को जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद के नाम पर जारी किया गया था।
हालांकि, प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह यूनिवर्सिटी की मिलीभगत थी या किसी बाहरी गिरोह द्वारा संस्थान के नाम का दुरुपयोग किया गया।
SOG की जांच का दायरा बढ़ा
इस पूरे मामले की जांच ASP धर्मराम गीला की टीम ने की है। SOG ने सबसे पहले यूनिवर्सिटी के सर्वर लॉग्स और रिकॉर्ड्स की गहराई से जांच की। अब टीम फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों से पूछताछ कर रही है और इनसे जुड़े दस्तावेजों को जब्त कर रही है।
सरकारी स्कूलों में लग चुके थे शिक्षक
चौंकाने वाली बात यह है कि ये 202 अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश के विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षक पदों पर कार्यरत हो चुके थे। इनमें से अधिकतर को फिजिकल एजुकेशन टीचर के पद पर नियुक्त किया गया था। अब शिक्षा विभाग द्वारा इनकी नियुक्तियों को रद्द करने और कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
सवाल शिक्षा व्यवस्था पर
यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरियां कैसे मिल गईं। इस घोटाले ने भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गहरी चोट की है।

आगे क्या?
फर्जी डिग्री रखने वालों पर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के तहत FIR दर्ज होगी
जेएस यूनिवर्सिटी की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच की मांग
पूरे मामले की CBI या STF जांच की सिफारिश संभव